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⇐पितृदोष के लक्षणघर में आय की अपेक्षा खर्च बहुत अधिक होता है।घर में लोगों के विचार नहीं मिल पाते जिसके कारण घर में झगडे होते रहते है।अच्छी आय होने पर भी घर में बरकत नहीं होती जिसके कारण धन एकत्रित नहीं हो पाता।संतान के विवाह में काफी परेशानीयां और विलंब होता है।शुभ तथा मांगलीक कार्यों में काफी दिक्कते उठानी पडती है।अथक परिश्रम के बाद भी थोडा-बहुत फल मिलता है।बने-बनाए काम को बिगडते देर नहीं लगती।⇐पित्रुओं की शांति, तर्पण आदि न करने से पापपित्रुओं की शांति एवं तर्पण आदि न करने वाले मानव के शरीर का रक्तपान पित्रृगण करते हैं अर्थात् तर्पण न करने के कारण पाप से शरीर का रक्त शोषण होता है।पितृदोष की शांति हेतु त्रिपिण्डी श्राद्ध, नारायण बलि कर्म, महामृत्युंजय मंत्रत्रिपिण्डी श्राद्ध यदि किसी मृतात्मा को लगातार तीन वर्षों तक श्राद्ध नहीं किया जाए तो वह जीवात्मा प्रेत योनि में चली जाती है। ऐसी प्रेतात्माओं की शांति के लिए त्रिपिण्डी श्राद्ध कराया जाता है।नारायण बलि कर्म यदि किसी जातक की कुण्डली में पित्रृदोष है एवं परिवार मे किसी की असामयिक या अकाल मृत्यु हुई हो तो वह जीवात्मा प्रेत योनी में चला जाता है एवं परिवार में अशांति का वातावरण उत्पन्न करता है। ऐसी स्थिति में नारायण बलि कर्म कराना आवश्यक हो जाता है।महामृत्युंजय मंत्र महामृत्युंजय मंत्र जाप एक अचूक उपाय है। मृतात्मा की शांति के लिए भी महामृत्युंजय मंत्र जाप करवाया जा सकता है। इसके प्रभाव से पूर्व जन्मों के सभी पाप नष्ट भी हो जाते है।⇐पितृदोष की शांति हेतु सरल उपायघर में कभी-कभी गीता का पाठ करते रहना चाहिए।प्रत्येक अमावस्या को गरीब बे सहारा को भोजन अवश्य करवायें।बे सहारा को भोजन में पूर्वजों की मनपसंद खाने की वस्तुएं अवश्य बनायी जाए।बे सहारा को भोजन में खीर अवश्य बनाए।गरीब से गरीब बे सहारा को श्राद्ध में में भोजन करवायें।कपड़ो का दक्षिणा सहित दान करने से अति उत्तम फल की प्राप्ति होती है।पित्रृदोष की शांति करने पर सभी परेशानीयां अपने-आप समाप्त होने लगती है। मानव सफल, सुखी एवं ऐश्वर्यपूर्ण जीवन व्यतीत करता है। By वनिता कासनियां पंजाब बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम

पितृदोष के लक्षण

  • घर में आय की अपेक्षा खर्च बहुत अधिक होता है।
  • घर में लोगों के विचार नहीं मिल पाते जिसके कारण घर में झगडे होते रहते है।
  • अच्छी आय होने पर भी घर में बरकत नहीं होती जिसके कारण धन एकत्रित नहीं हो पाता।
  • संतान के विवाह में काफी परेशानीयां और विलंब होता है।
  • शुभ तथा मांगलीक कार्यों में काफी दिक्कते उठानी पडती है।
  • अथक परिश्रम के बाद भी थोडा-बहुत फल मिलता है।
  • बने-बनाए काम को बिगडते देर नहीं लगती।

पित्रुओं की शांति, तर्पण आदि न करने से पाप

पित्रुओं की शांति एवं तर्पण आदि न करने वाले मानव के शरीर का रक्तपान पित्रृगण करते हैं अर्थात् तर्पण न करने के कारण पाप से शरीर का रक्त शोषण होता है।
  • पितृदोष की शांति हेतु त्रिपिण्डी श्राद्ध, नारायण बलि कर्म, महामृत्युंजय मंत्र
  • त्रिपिण्डी श्राद्ध यदि किसी मृतात्मा को लगातार तीन वर्षों तक श्राद्ध नहीं किया जाए तो वह जीवात्मा प्रेत योनि में चली जाती है। ऐसी प्रेतात्माओं की शांति के लिए त्रिपिण्डी श्राद्ध कराया जाता है।
  • नारायण बलि कर्म यदि किसी जातक की कुण्डली में पित्रृदोष है एवं परिवार मे किसी की असामयिक या अकाल मृत्यु हुई हो तो वह जीवात्मा प्रेत योनी में चला जाता है एवं परिवार में अशांति का वातावरण उत्पन्न करता है। ऐसी स्थिति में नारायण बलि कर्म कराना आवश्यक हो जाता है।
  • महामृत्युंजय मंत्र महामृत्युंजय मंत्र जाप एक अचूक उपाय है। मृतात्मा की शांति के लिए भी महामृत्युंजय मंत्र जाप करवाया जा सकता है। इसके प्रभाव से पूर्व जन्मों के सभी पाप नष्ट भी हो जाते है।

पितृदोष की शांति हेतु सरल उपाय

  1. घर में कभी-कभी गीता का पाठ करते रहना चाहिए।
  2. प्रत्येक अमावस्या को गरीब बे सहारा को भोजन अवश्य करवायें।
  3. बे सहारा को भोजन में पूर्वजों की मनपसंद खाने की वस्तुएं अवश्य बनायी जाए।
  4. बे सहारा को भोजन में खीर अवश्य बनाए।
  5. गरीब से गरीब बे सहारा  को श्राद्ध में में भोजन करवायें।
  6. कपड़ो का दक्षिणा सहित दान करने से अति उत्तम फल की प्राप्ति होती है।
  7. पित्रृदोष की शांति करने पर सभी परेशानीयां अपने-आप समाप्त होने लगती है। मानव सफल, सुखी एवं ऐश्वर्यपूर्ण जीवन व्यतीत करता है।
  8. By वनिता कासनियां पंजाब
  9. बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम

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